शाहरुख़, शाहरुख़ और सिर्फ शाहरुख़!!!
मैं ये बात हमेशा खुलेआम कहतीं हूँ कि शाहरुख़ जैसा कोई नहीं। जो लोग शाहरुख़ को कम्युनल बताते हैं, उन्हें अपनी इस कारगुजारी पर शर्मिंदा होना चाहिए। शाहरुख़ एक बेहद तमीजदार और हंसमुख स्वभाव के व्यक्ति हैं। हाल ही के घटनाक्रमों में पाकिस्तान ने उनके साथ जरूरत से ज्यादा सेंसिटिविटी दिखाने का ढोंग किया है, पर इस देश को पहले अपने गिरबान में झांकना चाहिए। ये जितने भी लोग वहां गरीबी और गैर भारतीयता (Anti-Indian) के चक्कर में पड़कर आतंकवादी बनते हैं, उन्हें पहले बसाने की कोशिश करनी चाहिए। जिस देश में आये दिन मार-काट होती रहती है, वो शाहरुख़ को क्या सुरक्षा प्रदान करेगा? हमारे इस अभिनेता को एक आम नागरिक की तरह अपने विचार रखने का हक है। अगर उनके इस बयान की इतनी ही नुक्ताचीनी करनी है तो समाजवादी आज़म को कट्टर इस्लामी विचारधारा वाले लोग क्यों नहीं पकड़ते, जो ताजमहल को गिराने के लिए उन्मादी भीड़ का सरदार बनने की ख्वाहिश रखतें हैं। ताज और शाहरुख़ दो अलग-अलग चीज़ें हैं पर दोनों रोमांस का आइना है। गौरी से ब्याह करके शाहरुख़ ने अपनी खुली मानसिकता का परिचय दिया और वो अन्य अभिनेताओं की तरह नहीं हैं जो 2-3 ब्याह रचते हैं, वे एक पत्नी परिवार के पक्षधर हैं और अपनी पत्नी को ससम्मान रखतें भी हैं। इस्लाम का निर्वहन करते हुए भी उन्होंने कभी इसकी छूट का फायदा नहीं उठाया। ये उनका USP है। किसी भी व्यक्ति के जीवन में बिन बुलाये मेहमान की तरह कई मुश्किलें आ सकतीं हैं और अगर उन्होंने अपनी इस मुश्किलों का जिक्र भी किया तो क्या बुरा किया, वैसे किसी ने सही ही कहा है" बात निकलेगी तो दूर तलक़ जाएगी". शब्दों के चक्कर में पड़कर भावनाओं का फालूदा बनाने में समझदारी नहीं है।
मैं ये बात हमेशा खुलेआम कहतीं हूँ कि शाहरुख़ जैसा कोई नहीं। जो लोग शाहरुख़ को कम्युनल बताते हैं, उन्हें अपनी इस कारगुजारी पर शर्मिंदा होना चाहिए। शाहरुख़ एक बेहद तमीजदार और हंसमुख स्वभाव के व्यक्ति हैं। हाल ही के घटनाक्रमों में पाकिस्तान ने उनके साथ जरूरत से ज्यादा सेंसिटिविटी दिखाने का ढोंग किया है, पर इस देश को पहले अपने गिरबान में झांकना चाहिए। ये जितने भी लोग वहां गरीबी और गैर भारतीयता (Anti-Indian) के चक्कर में पड़कर आतंकवादी बनते हैं, उन्हें पहले बसाने की कोशिश करनी चाहिए। जिस देश में आये दिन मार-काट होती रहती है, वो शाहरुख़ को क्या सुरक्षा प्रदान करेगा? हमारे इस अभिनेता को एक आम नागरिक की तरह अपने विचार रखने का हक है। अगर उनके इस बयान की इतनी ही नुक्ताचीनी करनी है तो समाजवादी आज़म को कट्टर इस्लामी विचारधारा वाले लोग क्यों नहीं पकड़ते, जो ताजमहल को गिराने के लिए उन्मादी भीड़ का सरदार बनने की ख्वाहिश रखतें हैं। ताज और शाहरुख़ दो अलग-अलग चीज़ें हैं पर दोनों रोमांस का आइना है। गौरी से ब्याह करके शाहरुख़ ने अपनी खुली मानसिकता का परिचय दिया और वो अन्य अभिनेताओं की तरह नहीं हैं जो 2-3 ब्याह रचते हैं, वे एक पत्नी परिवार के पक्षधर हैं और अपनी पत्नी को ससम्मान रखतें भी हैं। इस्लाम का निर्वहन करते हुए भी उन्होंने कभी इसकी छूट का फायदा नहीं उठाया। ये उनका USP है। किसी भी व्यक्ति के जीवन में बिन बुलाये मेहमान की तरह कई मुश्किलें आ सकतीं हैं और अगर उन्होंने अपनी इस मुश्किलों का जिक्र भी किया तो क्या बुरा किया, वैसे किसी ने सही ही कहा है" बात निकलेगी तो दूर तलक़ जाएगी". शब्दों के चक्कर में पड़कर भावनाओं का फालूदा बनाने में समझदारी नहीं है।
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