Thursday, July 18, 2013

प्यार

कैसे होता है प्यार? 

सुना है प्यार की कोई जात नहीं होती,
ये तो बस एक उन्माद है, जो आंधी की तरह आता है,
किसी को दिल देकर, भावना फैलाकर,
चुप चाप चला जाता है, मौनी बाबा सा।

देखती हूँ प्यार में डूबे हुए लोगों को,
जरूरी नहीं कि कामदेव के तीर से घायल हों,
सिर्फ नज़रों से, बातों से कर लेते हैं लोग बेइंतिहा प्यार,
पास में बैठ, होती है कुछ गुफ्तगू और थोड़ी तकरार
और इसको ही समझ लेते हैं प्यार।

 कोई किसी को कैसे करता है प्यार,
कैसा होता है इस प्यार का इज़हार,
ऐसा जैसे, माँ अपने बच्चे से करती है,
बहिने जब एक-दूजे पे तरती हैं,
गाय बछड़े से करती है,
दोस्त-दोस्त के नाम पर मर मिटता है
किसी से मिलने को जब कोई तरसता है,
पुराने किसी प्रेमालाप को यादकर,
जब ह्रदय पीड़ा से संकुचित हो जाता है
या अपनी मिटटी की याद में जब खून उबाल मारता है
या किसी अनजान को देख होठों के फूल खिलते हैं
और आँखें गुलाबी हो जाती हैं,
या जब किसी नन्हें से बच्चे को देख
जब गोद में उठाने का जी करता है    
तब प्यार ही  होता है मेरी जान,
और कोई तब रोक नहीं पाता,
इस आवेग को,
गुस्से को रोकने के तो कई किस्से सुने हैं,
पर प्यार करने से किसी को कोई कैसे रोक सकता है
दिल का साइज़ बढ़ जाता है और खून के बदले प्यार बहने लगता है
पूरे जिस्म-ओ-जान में खुमार चढ़ जाता है इस नशे का,
आगोश में भरकर उसे, कर देना चाहिए प्यार चस्पा,
सोने पे सुहागा तो तब हो जब
चूम कर लगाओ उसपर अपने प्यार का ठप्पा
व्यर्थ नहीं जायेगा प्यार का ये एहसास,
जिनको होता है प्यार वो तो होते ही हैं कुछ ख़ास।

@शिप्रा पाण्डेय शर्मा 

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