लिखना जरूरी है, क्योंकि आजतक मैंने कभी किसी को बताया नहीं, कि मेरे लिए वो खास है, और जिससे मेरा जुड़ाव है. इंग्लिश में इसके लिए एक शब्द है 'टचवुड', जिससे में अपने इस प्रसंग की शुरुआत कर रहीं हूँ.
एक व्यक्ति जिससे मेरा जुडाव हो गया, और बस यूँ ही जिंदगी ने उन्हें मेरे लिए और उन्होंने जिंदगी के लिए मुझे चुन लिया..ये शख्श आज के दिन मेरे पतिदेव के रूप में जाने जाते हैं, और उनका नाम है नीरज. मैं इसे एक इत्तेफाक ही मानती हूँ, कि हम दोनों लगभग एक ही सिक्के के दो पहलू हैं. मेरे पति और मेरे में पहली समानता ये है कि हम दोनों 'पानी' से जुड़े हुए हैं, वो 'नीरज' हैं और में 'शिप्रा'.आपको ये पढ़कर थोडा अटपटा जरूर लगेगा पर मुझे ये बताते हुए बहुत ही अच्छा लग रहा है, कि मुझे 'पति' शब्द ही थोडा अटपटा लगता है, इसलिए मैं नीरज को अपना 'समकक्षी' मानती हूँ. नीरज एक ऐसे इंसान हैं जो बहुत ही मानवीय,निष्कपट और सरलतम है. सरलतम इसलिए कि वो पानी की ही तरह है, जिस रूप में ढालना हो, अपने आप ढल जातें हैं, उन्हें बताना नहीं पड़ता. नीरज मुझे वर्ष २००१ में मिले थे और पिछले १० सालों से में उनको काफी अच्छे से जानती हूँ. मेरे और उनके रिश्ते में सिर्फ एक ही बात बदली है, और वो है कि पहले नीरज मुझे 'शिप्रा जी' कहते थे, और और आज 'सिप्पी' कहतें हैं. ऐसे तो पति-पत्नी एक दूजे के कई नाम रख देतें हैं, पर 'नीर' ने मेरे मम्मी-पापा का दिया नाम आगे बढ़ाना अच्छा समझा, क्योंकि वो मेरे नाम के साथ मेरा बचपन और और मेरे अन्दर के बच्चे को खो देना नहीं चाहते थे. मैं जिंदगी से काफी संघर्ष करती रही हूँ और नीरज हमेशा ही साथ रहे.
हमारी शादी के बाद नीरज मुझे ये लोरी गा के सुलाते थे, 'आओ रे निंदिया निनोर बन से'. माँ-बाप बनने के बाद हम अपने बेटे 'प्रसन्न' को आज भी ये ही लोरी गा कर सुलाते हैं.कभी कभी लगता है कि क्या लिखूं समझ नहीं आ रहा, पर आज दिल कर रहा है, कि उस आदमी के बारे में जोर-जोर से सबको रोक-रोक कर बताऊँ, कि आप इस आदमी से जरूर मिले.मैंने अक्सर लोगों को उनकी वैवाहिक जिंदगी की परेशानियाँ बाँटते देखा/सुना है, पर विश्वास मानिये अगर आप हर स्थिति से समझौता कर सकते हैं, तो आपसे ज्यादा सुखी और कोई नहीं हैं. मुझे जिंदगी में आज, अभी और जीवन के किसी भी पल क्या करना है, इसका बस मैंने जिक्र किया है और बंदा हाज़िर है, आपकी मदद के लिए.
काम करने के मामले में नीर किसी मशीन से कम नहीं हैं, घंटो एक ही कुर्सी में बैठे वो निकाल देते हैं और काम को लेकर हो रही थकान के बारे में जिक्र तक नहीं करते और न कभी होठों में उफ़ तक आने देते हैं.मेरे लिए उनकी एक आदत जो काफी पका देने वाली है, वो की उनके खाना खाने का कोई टाइम टेबल नहीं है.आजतक उन्होंने मुझ से कभी कुछ बना देने की बात भी नहीं कही,.जिंदगी में कई मोड़ ऐसे आयें हैं, जब मैंने सोचा है की कोई आदमी इतना सीधा कैसे हो सकता है, पर उनकी निष्कपटता और सादगी से समझ आ जाता है कि वृक्ष कबहूं नहीं फल बखे, नदी न सींचे नीर...मतलब जो गुण आदमी के डीएनए में होता है, वो चाहकर भी उसे नहीं छोड़ सकता है. कई साल पहले किसी ने नीरज के बारे में कहा था कि वो बहते हुए पानी में हीरा है, सिर्फ उनको पकड़ लेना और तराशा जाना है,और ये बात अक्षरशः सत्य है. मैंने कई लोगों से ये कहते सुना है कि नीरज का मेरे लिए स्नेह इसलिए इतना है, क्योंकि हमारी 'लव मैरिज' है, पर ऐसा नहीं है, हमारा स्नेह एक-दूसरे के लिए प्रतिस्पर्धात्मक है, जो किसी भी तरह किसी से कम नहीं है. नीरज ने लोगों को प्यार से ही जीतने को कोशिश की है.
Very nicely said Shipra,Lagta hai dil se awaaz nikli hai.
ReplyDeleteGreat, keep up the good writing.
जितना तुझको समझा था ,आज उससे ज्यादा जान लिया
ReplyDeleteशिप्रा को आज उसका मुकाम मिल गया ,
यु तो तुम हमेशा ही बात करती रहती थी
पर इस लेख से तेरे दिल का पैगाम मिल गया
हर ख़ुशी दी तुम्हे जिसने क्या कहने हैं उसके
एक भक्त को जैसे भगवान् मिल गया
"प्रसन्न" रहो हमेशा पुष्पों की तरह
" शिप्रा" को "नीर" का नाम मिल गया
Thanks Varsha Aunti and Bhabhi. Hope ur inspiration motivate me to write more. I am obliged.
ReplyDelete