ख्यालों से साज़िश की ,
गुनाह न कोई मैंने किया ,
न इलज़ाम तेरे दिल को दिया ,
न शिकवा मैंने किया ,
हवा की तरह बहती हूँ ,
मदमस्त, बेख़ौफ़, बेपर्दा ,
छू के जो निकल गयी तुझे ,
जिस्म तेरा हवा क्यों हुआ ?
गुनाह न कोई मैंने किया ,
न इलज़ाम तेरे दिल को दिया ,
न शिकवा मैंने किया ,
हवा की तरह बहती हूँ ,
मदमस्त, बेख़ौफ़, बेपर्दा ,
छू के जो निकल गयी तुझे ,
जिस्म तेरा हवा क्यों हुआ ?
१९-१-१२
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