१. मेरी आवाज़ में आ अपनी आवाज़ मिला , देख नज़ारा क्या दीया जलता दिखाई देता है ?
२. बेबसी और लाचारी है मेरे दोस्त, कोई गम का मारा है ,तो कोई उल्फत का !!!
३. मेरे खून की रूमानियत की लहर नहीं देखी है तुमने रितु , जरा अन्दर तो झांको जलजला उफना पड़ा है :-)
४. जुल्म तो जंजीर है शमा ,बांध कर किये जातें हैं ,हम तो निगाहें मूँद कर भी ,लश्कर उड़ाए जातें हैं।
५. मत खटखटाओ दरवाज़ा मेरे दोस्त इतनी रात में,हौले से पुकारो मेरा नाम,मैं आँखें खुली रखती हूँ !!!!!!!!
६. जो जल जातें हैं शमा, वो परवाने होते हैं,रात जवान होती है, हम दीवाने हुए जाते हैं .
७.शोले भड़कते हैं ,चरागों से तू काम चला, हम तो कंडी की आग ही सही,धीमे-से सुलग जातें हैं ...
८. बच के दौड़ना इन शोलों में शमा, कांच के टुकड़े छुपा रखे हैं कहीं ,दिल से निकलता खूं जमा देता है जुबान, , पैरों की नहीं लेता कोई खबर .....
९. लौटकर आयें भी तो क्या सोचकर,एक बार चले जातें हैं बेबस करके, न आने में ही फायदा है ग़ालिब , कई रूह जला जातें हैं रोते-रोते .....
१०.बेहिसाब किस्से पढ़े , हज़ार आयतों की तरह , तमाम दर्द समेटे रहे, अपने तकिये में कहीं .....
११. ख्यालों से साज़िश की , गुनाह न कोई मैंने किया , न इलज़ाम तेरे दिल को दिया , न शिकवा मैंने किया
, हवा की तरह बहती हूँ , मदमस्त, बेख़ौफ़, बेपर्दा,छू के जो निकल गयी तुझे ,जिस्म तेरा हवा क्यों हुआ ?
१२. बेहिसाब किस्से पढ़े , हज़ार आयतों की तरह , तमाम दर्द समेटे रहे, अपने तकिये में कहीं .....
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