Saturday, February 11, 2012

तलाश

मेरे प्यार की तलाश ख़तम हो चुकी है,
तुम्हारी आहटों से पुरानी याद मिट चुकी है
इस समुन्दर में हर रोज लगाती हूँ मैं अब डुबकी,
नहाकर प्यार में, मैं मदमस्त हो चुकी हूँ

रोज तुम्हे देखती हूँ,
कभी बहुत दूर और कभी पास से 
अपना दिल भी निकाल के रख दिया है रास्ते में
मुझे भी पता है कि तुमने देख ली है वो जगह,
पर हिचकिचाते रहते हैं दोनों बेवजह

तुम भी अपने संसार में डूबे हो और मैं भी,
दोनों प्यार के रंग में दिन-रात गोते लगाते हैं,
मुझे जान से भी ज्यादा कीमती है अपनी फुलवारी
और तुम्हारी भी कहीं ज्यादा ही हैं जिम्मेदारी
पर प्यार पर किसी का कोई जोर नहीं,
सांस तो अब लेते हैं, पर अब कोई होश नहीं,
ख्वाहिश इतनी सी है, कि कभी बैठे तन्हाई में किसी रोज,
एक-दूजे के सामने आंसुओं का समंदर बहा दे,
न रखे कोई अफ़सोस और न ही कोई आरजू,
चुप-चाप सुन लें समय की टिकटिकी,
सिर्फ ये बता दे ज़माने को कि तुमने अधिक चाहा था या मैंने,
नश्तर की तरह चुभते इस दर्द को बहा देते हैं इस पानी में,
क्योंकि दर्द सिर्फ दुःख देता है, और प्यार का कोई सानी नहीं,
मेरी उम्र और रिश्ते से प्यार का पैमाना नाप सकते नहीं 
तभी कह गए हैं ग़ालिब कभी, 
इश्क पर जोर नहीं, है ये वो आतश ग़ालिब
के लगाये न लगे और बुझाये न बुझे...........
<3 
१२-२-२०१२