Tuesday, January 29, 2013

शाहरुख़, शाहरुख़ और सिर्फ शाहरुख़!!!

शाहरुख़, शाहरुख़ और सिर्फ शाहरुख़!!!
मैं ये बात हमेशा खुलेआम कहतीं हूँ कि शाहरुख़ जैसा कोई नहीं। जो लोग शाहरुख़ को कम्युनल बताते हैं, उन्हें अपनी  इस  कारगुजारी पर शर्मिंदा होना चाहिए। शाहरुख़ एक बेहद तमीजदार और हंसमुख स्वभाव के व्यक्ति हैं। हाल ही के घटनाक्रमों में पाकिस्तान ने उनके साथ जरूरत से ज्यादा सेंसिटिविटी दिखाने का ढोंग किया है, पर इस देश को पहले अपने गिरबान में झांकना चाहिए। ये जितने भी लोग वहां गरीबी और गैर भारतीयता (Anti-Indian) के चक्कर में पड़कर आतंकवादी बनते हैं, उन्हें पहले बसाने की कोशिश  करनी चाहिए। जिस देश में आये दिन मार-काट होती रहती है, वो शाहरुख़ को  क्या सुरक्षा प्रदान करेगा? हमारे इस अभिनेता को एक आम नागरिक की तरह अपने विचार रखने का हक है। अगर उनके इस बयान की इतनी ही नुक्ताचीनी करनी है तो समाजवादी आज़म को कट्टर इस्लामी विचारधारा वाले लोग क्यों नहीं पकड़ते, जो ताजमहल को गिराने के लिए उन्मादी भीड़ का सरदार बनने की ख्वाहिश रखतें हैं। ताज और शाहरुख़ दो अलग-अलग चीज़ें हैं पर दोनों रोमांस का आइना है। गौरी से ब्याह करके शाहरुख़ ने अपनी खुली मानसिकता का परिचय दिया और वो अन्य अभिनेताओं की तरह नहीं हैं जो 2-3 ब्याह रचते हैं, वे एक पत्नी परिवार के पक्षधर हैं और अपनी पत्नी को ससम्मान रखतें भी हैं। इस्लाम का निर्वहन करते हुए भी उन्होंने कभी इसकी छूट का फायदा नहीं उठाया। ये उनका USP है। किसी भी व्यक्ति के जीवन में बिन बुलाये मेहमान की तरह कई मुश्किलें आ सकतीं हैं और अगर उन्होंने अपनी इस मुश्किलों का जिक्र भी किया तो क्या बुरा किया, वैसे किसी ने सही ही कहा है" बात निकलेगी तो दूर तलक़ जाएगी". शब्दों के चक्कर में पड़कर भावनाओं का फालूदा बनाने में समझदारी नहीं है।
  

Wednesday, January 16, 2013

स्वर्ग का सफ़र

स्वर्ग का सफ़र

बहुत दिनों से सोच रही  थी कि एक लम्बे सफ़र पर निकलूँ,  बहुत सोचा कि कहाँ कि यात्रा की जाये, कोई ख़ास जगह दिमाग में नहीं आ रही थी, तो सोचा स्वर्ग का सफ़र क्यों न कर आऊँ! ज्यादा खर्चा भी नहीं होगा, और मनपसंद लोगों से मुलाक़ात भी हो जाएगी। आँखें भी बंद नहीं की मैंने और सफ़र की शुरुआत भी हो गयी। मजे की बात यह रही कि पूरे सफ़र में मुझे कहीं चलना भी नही पड़ा, बस इधर से उधर घूम लिए।

 मुझे मॉरिशस के नाम पर कुछ हमेशा से ही हो जाता था, तो पहले यही से यात्रा शुरू की। नीला पानी कितना रोमांटिक होता है, मदहोश कर देने वाला। अरे वहां पहुँच के लम्बे-लम्बे पाइन के पेड देखे, बस मन किया कि इन पर चढ़ जाऊं और फिर कहीं खजूर की तरह अटक जाऊं, पर भाई लम्बी यात्रा पर निकली थी, तो अटकना संभव नहीं था, तो पेड पकड़कर थोड़ी देर चक्कर काटती रही, थोडा-थोडा mary go round की तरह। आम जिंदगी में भी मैं जहाँ कभी सुन-सांन जगह देखती हूँ तो, बड़े से पेड का मोटा तन पकड़कर झट से एक चक्कर काट ही लेती हूँ, बड़ा मजा आता है। घूमती रही और कुछ पुराने गीत गुनगुनाती रही, कसम से बड़ा मजा आया, शायद आप  भी समय निकल कर ऐसा जरूर करते होंगे।पहले जब मैं छोटी थी और रस्ते में जाते किसी लड़के को गाने गाते हुए देखती थी तो बड़ा गुस्सा आता, कि कितना निर्लज्ज है, शर्म भी नहीं आती इसे, पर किसी एक दिन एक्सपेरिमेंटल मैंने भी एक रास्ता गाते हुए तय किया, तब से अनायास ही गानों के बोल फूटने लगते हैं मुंह से । नीला पानी और छप-छप  न करू ऐसा हो ही नहीं सकता, पेंट के पोंचे ऊपर किये और पैरों को गीला होने की आज़ादी दे दी। मॉरिशस में बहुत सारे भारतीय रहते हैं इतना पता था अलग-अलग बोली बोलने वाला भारतीय, बस उन्हें गले लगा कर मिलती रही और उनकी ख़ैर-ख्वाह पूछती रही, ज्यादा तो भोजपुरी बोलनी नहीं आती बस फिर भी जितनी 'नीर' से सीखी थी उतनी तो बोली थी, का हो भय्या कैसन बनी, अपन सुनाईं, वगैरह-वगैरह। एक pickle ग्रुप था उनसे अपने पति का एक पसंदीदा गाना सुना' कहे के तो सब कोई आपन, आपन कहावे बाल को बा। सुनके आँखें भर आई। थोडा गाया, हुडदंगी की और आगे रास्ता नाप लिया। वहां की मिट्टी में कुछ ख़ास बात थी पर आगे भी दुनिया घूमनी थी।

अरे पैसे लगने नहीं थे, तो निकल पड़ी स्विट्ज़रलैंड देखने, कुकी बुआ और मन्ना से सुना था, कि नायाब प्रकृति है, उसे संभाल के भी तरीके से रखा गया है।  क्या बताऊँ बहन, लाल, गुलाबी, पीले पत्तों से पटा देश जैसे भगवान ने खुद फोटो- शॉप किया हो, अरे आँखों को आराम नहीं, सोचूँ कि  बर्फ से ढका पहाड़ देखूं, पता नहीं इतने लम्बे आकार के लिए ऐसे मखमली रजाई कैसे बनायीं होगी, थोडा रजाई हटा के चेहरा देखने का मन किया और कहूं लूकू ....लूकी। छोटा प्रसन्न याद आ रहा था, जब उसके साथ मैं ये खेल खेलती थी।  थोड़ी स्की की, फिर गिरते-पड़ते बेस पे आ गयी। खाने को ज्यादा कुछ नहीं था मेरे लिए, शुद्ध शाकाहारी हूँ न, तो पेड़ों से सेव तोड लिए, खाते हुए रस्ते पे चल दी। आलिंगन करते पेड़ों को देख कर अकेले ही गाने लगी नीला आसमां सो गया। अमिताभ याद आ गए, काश मैं उनकी हीरोइन होती! उनकी आँखों में चुलबुलापन है। एक-दो घड़ियाँ खरीदीं वहां से, एक अपने पापा के लिए, क्योंकि उन्होंने ही मुझे मेरी पहली घडी दी थी सितम्बर 4, 1992 को जब वो धनबाद से एक इंस्पेक्शन से वापिस आये थे। आप सोच  रहे होंगे मैं फेंक रही हूँ, पर विश्वास कीजिये मैंने आज भी वो तारीख अपनी ख़ास डायरी/ नोट बुक  में नोट की है, यह नोट बुक वह थी जो प्रतियोगिता दर्पण में इयरली कैलेंडर के बतौर पाठकों को मिलती थी।  आज वो दिन था जब अपने पापा को मैं घड़ियों के देश से एक घडी ले  के दे रही थी, मुझे मिली थी टाइटन विस्टा, राउंड शेप, और मैं दे रही थी .... फर्क सिर्फ समय का था,   उन्होंने अपने सब बच्चों मैं सबसे पहली घडी मुझे खरीद के दी और मैंने आज कई साल बाद उन्हें। प्यार दोनों कलाइयों  में बंधा था। अपने घर के बच्चों प्रसी, हार्दिक, वासु, मिष्टी, कृष्णा, दिवा इन सब के लिए मैंने खूब सारी  चोकलेट ले ली और लम्बे से थैले में डाल ली।  दुनिया को मिल्क चोकलेट देने वाला पहला देश यही है और यहाँ दुनिया की सबसे बेहतरीन चोकलेट मिलतीं हैं तो अपने बच्चों के लिए ये तो ले जाना लाज़मी था।

ऐल्प्स की वादियों में बसा ये देश अपनी इम्ब्रोइडरी के लिए बहुत प्रसिद्ध है, सो खरीद ली 2 शाल मैंने वहां से, स्विट्ज़रलैंड भी भारत की तरह गांवों में बसता है, यहाँ किसानों को बड़े आराम से देखा जा सकता है, जैसे भारत के खेतों-खलिहानों में दंत कथाएँ कह के लोग अपना टाइम पास कर लेते हैं, वैसे ही यहाँ 'योडलिंग' करके दिन कटा जाता है। योडलिंग वह  है जो किशोर कुमार हमारे वहां के गानों में करते थे, Oh-di-lay-ee-ay, di-lay-dee-oh, de-lay-ee  मस्त गातें है स्विट्ज़ वासी। थोडा टाइम था और जाना बहुत दूर-दूर था, तो बस 1-2 उम्दा वाइन की बोतलें ले लीं अपने खास लोगों को गिफ्ट करने के लिए। आगे का रास्ता काफी लम्बा था तो ज्यादा सामान नहीं ढ़ो सकती थी। थैली समेटी और निकल पड़ी आगे के सफ़र पर।

एक और देश जो मुझे बेहद आकर्षित करता है वह है पुर्तगाल, ये वही देश है जिसने भारत सुदूर दक्षिण में राज किया था। गोवा में पुर्तगालियों का शासन रहा, वैसे तो मैं गोवा भी नहीं गयी हूँ पर मेरे दो दोस्त वहां के हैं खालिस गोअन। वे जब मेरे घर में आये थे, तो उनके हाथ से मेरे सिन्दूर का डिब्बा गिर गया था, उन्होंने उसे रंग का डिब्बा समझ लिया था, और खेद प्रकट करते हुए कहा था, सॉरी आपकी अलमारी में रखा लाल रंग का डिब्बा हमसे गिर गया, और हमने वो पाउडर उठा के कूड़ेदान में डाल दिया है, मैं हंस पड़ी कि ये लोग नादान हैं इस डिब्बे की कीमत इन्हें क्या मालूम ? बहरहाल स्विट्ज़रलैंड से दक्षिण की और मुड़ी तो पुर्तगाल पहुँच गयी। स्वास्थ्य, विकास के हिसाब से ये बड़ा ही विकसित और व्यवस्थित देश है। वहां पहुँच के मुझे लगा की मैं भारत की वास्को-डी-गामा  हूँ, इन साहब ने भारत के मसाले वर्षों पहले यूरोप के देशों में पहुंचाए थे और आज मैं वहां मसालेदार चाय पीने पहुँच गयी थी। NRI मसाले भी देख के जरूर खुश हो रहे होंगे कि चलो, किसी भारतीय के गले में जा रहे हैं।
बचपन में 1 राइम गाते थे
Vasco di gama, went on a drama.............. :) हा हा हा हा
जैसे की पहले  भी लिखा था कि मैं विशुद्ध शाकाहारी हूँ, पर मछलियाँ देख के रखने का शौक भी है सो यहाँ से और उम्दा जगह और क्या हो सकती थी ताज़ी मछलियाँ पकड़ने के लिए। कहतें हैं कि यहाँ 100 से भी ज्यादा प्रकार की फ्रेश वाटर मछलियाँ मिलती हैं। सो कुछ रख ली इना, मीना,टीना नाम की मच्छी लोगों को गिफ्ट करने के वास्ते एक्वेरियम में रखने के लिए ।  भूख भी तेज़ी से हिलोरे मार रही थी पेट के अन्दर पर समझ भी नहीं आ रहा था, यहाँ तो हर जगह बीफ, चिकन पोर्क यही मिल रहा था। राह चलते किसी सज्जन से मैंने पूछा तो उन्होंने मुझे कहा अरे आपको नहीं ,मालूम यहाँ की पेस्ट्रीज दुनिया की बेहतरीन होती है, फिर क्या था पहुँच गयी पेस्ट्री शॉप और अपने दांतों की परवाह किये बिना एक के बाद 2,3,4 हज़म कर गयी इन मुई पेस्ट्रीज को, कमबख्त बहुत मीठी होती है, कोई बीकानेर की भुजिया तो दे दो।  चल पड़ी इस देश के गानों को सुनने, बेगाने देश में कोई मुझे कविता कृष्णामूर्ति और एस.पी.बालासुब्रमनियम सुना दे, तरस रहे थे कान मेरे। मैंने सुना था की यहाँ हमेशा ही संगीतोत्सव चलता ही रहता है, तो थोड़ी तसल्ली तो थी कि कुछ तो अच्छा सुनने को मिल ही जायेगा। तो तसल्लीबख्स पियानो सुना। वैसे तो पियानो मैंने मॉल में ही सुन रखा था, पर लाइव ऑडियंस के बीच सुनने का मजा निराला था   

अपने पसंदीदा देशों में घूमने के बाद किसी ऐसी जगह की तलाश में थी, जहाँ कुछ अपनों के दर्शन हो जाते। एक सुनहरी सीढ़ी मुझे थोड़ी दूरी पर मिली, जिसके पायदान चाँदी के थे, हौले-हौले हिलते हुए यह  बेहद संगीतात्मक लग रही थी। मुझे थोड़ी हैरानी हुई कि विकसित देशों में भी लोग ऐसी पारंपरिक सीढियों से काम चला लेते हैं, यहाँ तो ऐसे हर जगह लिफ्ट ही लिफ्ट दिखाई देती है। सामान कम था तो लगा कि इस सीढ़ी पर चढ़ा जा सकता है। अपना पिट्ठू संभाला और जूतों के लेस कस के बांध लिए, पता चले कि चदते हुए जूते ढीले हो और नीचे गिर जाएं।  बस सीढ़ी के बगल में पहुंची ही थी, कि सीढ़ी मेरी सीध में आकर रुक गयी और मैं ये देख कर अवाक् रह गयी कि हिलती हुई यह सीढ़ी मेरे पास क्यों और कैसे दोनों बाहें फैलाये खडी है? बस क्या था मैं चढ़ गयी दोनों हाथों का सहारा लेते हुए। जैसे एलीवेटर में हम खड़े रहतें हैं और ऊपर/नीचे की और बढ़ते रहतें हैं, उसी तरह यह सीढी भी बढती जा रही थी, एक एलीवेटर की ही तरह। सोने का पालना तो सुना था पर सोने की सीढ़ी नहीं। आज इस बात के भी मजे ले रही मैं। देखते ही देखते  लगा किसी स्वप्नलोक पहुँच रहीं हूँ, गुलाबी हलके फाहों को उँगलियों के पोरों से उड़ाते हलके नीले समतल-सी जगह को छू ही रही थी कि  अचानक  बढ़ चली एक अनाम सी दुनिया में। मन में ड़र भी था और उत्साह भी कि पता  नहीं कहाँ जा रहीं हूँ मैं, पर आनंद की अनुभूति जरूर थी। पता नहीं मेरी एक आँख भी फड़क रही थी पर खून का उबाल भी जोरों पर था। सीढ़ी रुक गयी और और एक अनजान-सा मुस्कुराता चेहरा मुझे आगे बढ़कर रिसीव करने के लिए खड़ा था, लग रहा था कि कभी इन्हें कहीं देखा है पर अपना ये स्वागत देख कर मुझे एक ही  एहसास हो रहा था कि आज मैं अपने हीरो शाहरुख़ से कमतर नहीं हूँ, जिसके इंतज़ार में  कुछ लोग खड़ें हैं। मोतियों के हार के साथ मेरा स्वागत हुआ पर मैं अभी भी सन्न थी। ओह ओ, आप भी सोच नहीं सकते वहां कौन खड़ा था, हलके स्याह रंग में एक लम्बा छह फुटिया, थोड़े घुंघराले बालों वाला एक हसीन-सा मेरी ही उम्र का एक नौजवान हाथ में सिगार लिए बैठा था, मैं थोड़ी ही दूरी पर थी उसके, पर 'हाय'/ Hi की मुद्रा में उसने मुझे कहा 'अलख निरंजन' लगा काटो तो खून नहीं, और अब उसके आगे-पीछे एक-दो सांप घूम रहे थे, मुझे ये प्राणी बेहद नापसंद है और अब मैं बस ड़र गयी, सामने बैठे इस आदमी ने बड़े ही सहज भाव से कहा 'डरो नहीं प्रिये'  और उन दोनों को पकड़कर अपनी शर्ट की जेब में डाल लिया और हाथ उठा कर मुझे पास आकर बैठने का आमंत्रण दिया। मैं चुप थी, सकपकायी हुई थी, हैरान थी साथ ही साथ निःशब्द भी थी। मेरे आसन में बैठते ही मंत्रमुग्ध कर देने आदमी ने कहा, शिप्रा, मैं हूँ शिव, तुम्हारा शिव!!!!!!!!!! इंग्लिश में कहूं तो Oh My God! और हिंदी में मेरी बोलती बंद!!!!!!!    


swarg ka safar