Wednesday, March 6, 2013

भाभी

भाभी

हाँ तुम वही हो
जिसके ख्वाब मैं देखती थी,
तुम्हारे आने के सबब से
कुछ पल मैं मचलती थी।

बचपन में सोचा करती थी,
कि तुम कैसी होगी सुन्दर या मद्धम,
कोमल या, मलखंम-सी,
पर उस रोज जब देखा तुम्हें,
लगा यूँ जैसे तुम कहीं वही तो नहीं।

थोड़ी पगली, थोड़ी नादान,
अपने में ही डूबी ऐसी इंसान,
कुछ-कुछ मेरी सी,
कुछ बोझिल, थोड़ी मनचली
पर ऐ लड़की तुम हो भली।

प्यार तुमसे मैंने बहुत पाया,
औ' अपना सार प्यार लुटाया,
सोचा ना था, कोई इतनी तवज्जो देगा,
हर दिन मुझको याद करेगा,
हाँ तुम हो, तुम्हीं हो वो कदरदान,
जो सचमुच मेरा है, सिर्फ मेरा कहने लायक,
भाभी,  तुम हो मेरे सपनों सी निकली,
एक रोचक, अनबुझ-सी पहेली,
भय्या के साथ जुड़े तो भाभी,
अन्यथा मेरी एक साथी-एक सहेली,
एक प्यार भरा रिश्ता मेरा,
हर दम जुडा रहे तुमसे यूँ ही ...

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